मुफ्तखोरी एक अभिशाप

“क्या आपको पता है #कजाख्स्तान में क्या चल रहा है?" सरकार सस्ती LPG दिया करती थी। सरकार दिवालिया हो गयी तो सब्सिडी समाप्त कर दी सरकार ने। तो लोग सड़कों पर आ गए, "हमें नही पता कहाँ से पैसे लाओगे। पैसे लाओ व हमारी मुफ़्तखोरी जारी रखो। नही तो देश जलाएँगे।" तो देश को जला रहे है कज़ाख। पुलिस व पब्लिक दोनो के कई दर्जन लोग मरने के बाद रूसी सेना आ गयी है। याने एक और अफ़ग़ानिस्तान। मुफ़्तखोरी की तीन स्टेज होती है: १. सरकार मुफ़्तखोरी आरम्भ करती है एक दो वस्तुओं से व थोड़े से लोगों से। फिर मुफ़्त आइटम व लाभान्वित संख्या बढ़ने लगती है। २ सरकार दिवालिया हो जाती है व मुफ़्तखोरी समाप्त करने का प्रयास करती है। लोग सड़कों पर आ जाते है व देश को जलाना आरम्भ कर देते है। सरकार गिर जाती है। नई सरकार क़र्ज़ लेकर फिर मुफ़्तखोरी आरम्भ करती है लेकिन कुछ समय बाद ही क़र्ज़ मिलना भी बंद हो जाता है। फिर सरकार गिर जाती है। ये चक्र कुछ दिन चलता है। ३. अंतत इतना क्रूर व्यक्ति सत्ता मे आता है जो घरों में लोगों को मारने लगता है। कोई बाहर ही नही निकल पाता। मीडिया सब अपने नियंत्रण में ले लेता है व घोषित कर देता है कि कोई भूखमरी नही है व चिकित्सा व्यवस्था भी दुनिया की सबसे अच्छी है। कोई व्यक्ति कहता है कि वह भूखा है तो उसके सिर में गोली मार देता है। व्यक्ति समाप्त तो भूख समाप्त। पुरुष पलायन कर जाते है, महिलायें वैश्यावृति को विवश हो जाती है। उदाहरण: क्यूबा, उत्तर कोरिया, वेनेज़ुएला, ज़िम्बाब्वे। ऊपर लिखी अवस्थाओ का कोई अपवाद नही है। लेकिन मुफ़्तखोरी की नई नई योजनाये नए नए देशों में आती ही रहती है। #कंजरवाल के बाद #टोंटी_जादो यही करने वाले हैं। क्या आप भी #मुफ्तखोर हैं?
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