जून 2013 में केदारनाथ ,.
उत्तराखंड की जल प्रलय में 6000 अज्ञात लोग मारे गए,
4800 आज तक लापता हैं,
कुल 11000 मौतें हुईं।
कांग्रेस सरकार को इतनी बड़ी त्रासदी के बारे में तीन दिन बाद चला .....
जब एक हेलीकाप्टर पायलट ने देखा कि 'रामबाड़ा' तो गायब है और भागीरथी अपनी जगह से आधा किलोमीटर दूर बह रही है।
मरने वालों में हज़ारों हिंदु तीर्थयात्रियों के अलावा...... सैकड़ों राज्य सरकार ,बैंक कर्मी और सैकड़ों घोड़े वाले भी थे, .....
मगर तत्कालीन सोनिया-राहुल-बहुगुणा सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी रहीं , .....
हज़ारों करोड़ का नुकसान हुआ
मगर मनमोहन सिंह ने सिर्फ सौ करोड़ दिये, और पहुँचे बमुश्किल 20-25 करोड़ !!
शेष दलालों ने उड़ा लिए!
'राहुल' विदेश दौरे पर था तो राहत कार्य का उद्घाटन कौन करता ?
ट्रकों को हरी झंडी कौन दिखाता,
फोटो किसका खिंचता ?
सो जब राहुल बाबा थाईलैंड से लौटे, तब राहुल और सोनिया के फोटो वाली राहत पेटियां तैयार हुईं, और पेटियों में पारले-G के बिस्कुट रखकर राहत सामग्री का नाम दे दिया गया।
ट्रक दिल्ली से चले और डीजल खत्म हो जाने के नाम पर रुड़की में खड़े हो गए, आटा और बिस्कुट की पेटियां, जिस पर राजमाता और राहुल बाबा का फोटो छपा हुआ था, अधिकांश, कभी केदारनाथ या अन्य आपदा पीड़ित इलाकों में पहुचे हीं नहीं !
रुड़की और हरिद्वार के बाज़ारों में पहुच गईं .....!
हज़ारों शव तक नहीं ढूंढे गए।
आज भी नरकंकाल भारी मात्रा में बरामद हो रहे हैं ! सैकड़ों तीर्थयात्री तो भूख और ठण्ड से तड़प-तड़प के मर गए, कोई कांग्रेसी सुध लेने वाला नहीं था !
मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे जिन्होंने शवों को ढूंढने हेलीकॉप्टर भेजे, जिन्हें राज्य की कांग्रेस सरकार ने उतरने ही नहीं दिया!
शवों को चील कौएं और कुत्ते खाते रहे, कांग्रेस और सोनिया की दया नहीं जागी !
कितना लिखे, व्यथा लिखते आँखे भीग जाती हैं !
वही कांग्रेसी और सेक्युलर गिद्ध ममता और केजरीवाल जैसे लोग एटीएम और बैंक के बाहर लंबी लाइनों के ऊपर झूठा मातम मनाते हुए 15 दिन से संसद को बंधक बनाए हुए थे !
केदारनाथ आपदा में मरनेवाले क्या इस देश के नागरिक नहीं थे?
दरअसल वह 11000 अभागे तुम्हारे वोट बैंक नहीं थे!